How to be the Best Performer?
आज के इस भागते दौड़ते टाइम में जब हमारा ध्यान 10 चीजों पर केंद्रित है, तब हम फोकस होकर एक चीज पर अपना ध्यान कैसे लगाएं और अपना बेस्ट परफॉर्मेंस कैसे दें|
क्या कोई सीक्रेट फार्मूला है ? बेस्ट परफॉर्मेंस करने का | बेस्ट परफॉर्मेंस कैसे दें, हर बार अपना बेस्ट कैसे करें ? क्या इसकी कोई लिमिट है ? क्या हमें कोई रोक रहा है ?
मित्रों मैंने अपनी लाइफ में अभी तक जो भी बाधाएं देखी है अगर में इन 4 बाधाओं को जब मैं दूर करता हूं तो मैं बहुत अच्छा परफॉर्म कर पाता हूँ , मगर शर्त यह है कि आपको यह 4 बाधाएं पता होनी चाहिए |
मान लीजिए आप एक सड़क पर चल रहे हैं और चलते चलते आपके सामने एक बड़ा गड्ढा आ जाता है, इसमें दो ही रास्ते हैं या तो आप गड्ढे में गिर जाएंगे या फिर आप उस गड्ढे की साइड से या उसके ऊपर छलांग लगाकर बच जाएंगे|
पहली कंडीशन में आप गड्ढे में गिर रहे हैं क्योंकि आपको पता ही नहीं सड़क पर गड्ढा कहाँ है | दूसरी कंडीशन में आप बच जाते हैं क्योंकी आपको यह पता चल गया हैं कि गड्ढा कहा है |
ऐसे ही जब हम किसी काम पर फोकस करते हैं या अपना बेस्ट परफॉर्म करना चाहते हैं, तो हमें नहीं पता होता कि हमारे ऐसी सामने ऐसे कोनसे चार कारण हैं जो हमें आगे बढ़ने से रोकते हैं|
क्योंकि मैंने ऐसा देखा है कि, मेरा सबसे बड़ा शत्रु मेरा दिमाग हो सकता है | कहते हैं ना विनाशकाले विपरीत बुद्धि |
तो आइए देखते हैं वह 4 गड्ढे क्या है |
विचलित
अगर हमारा ध्यान बहोत सारी चीज़ो मैं है तो हम विचलित रहते हैं , अब हमे कोई भी काम बेहतर तरीके से नहीं कर सकते. यह अक्सर कर देखा गया है कि जैसे ऑफिस के काम में ईमेल सबसे ज्यादा टाइम waste करता है क्योंकि वह सबसे ज्यादा आपका ध्यान केंद्रित करता है |
ईमेल वह काम है जो दूसरे आपसे करवाना चाहते हैं, ना कि वह जो आप खुद करना चाहते हैं |
सुबह उठकर मोबाइल देखना, ईमेल चेक करना, अगर आप वाकई में यह काम करते हैं तो आप बहुत विचलित है |
सुबह उठकर आपको वह काम करना है जो सबसे ज्यादा जरूरी और महत्वपूर्ण है जैसे एक्सरसाइज, योग साधना , पूजा पाठ, डेली रूटीन ना कि उसके साथ ही मोबाइल चेक करना कि किसका व्हाट्सएप आया, या फेसबुक आया और इंस्टाग्राम आया |
रिसर्च यह बताती है कि अगर हमें किसी काम को करना चाहते हैं, तो 20 मिनट का एक टाइमर अपनी घडी में लगाकर हमें पूरा फोकस होकर उस काम को अगर करें तो हम कोइसा भी काम को आसानी से ख़त्म कर सकते है |
और अगर इस बीच में किसी कारणवश वह काम रुक जाता है तो वापस से एक और टाइमर लगाइए 20 मिनट का और फिर से स्टार्ट करिए – इस पूरी टेक्निक को पोमोडोरो कहा जाता है |
जैसे मैं जब कोई काम करता हूं तब मेरा दिमाग में बहुत बार उस काम को नहीं करने के बहाने ढूंढ़ता रहता हूँ जैसे टॉयलेट जा कर आता हूँ फिर करूँगा, अरे वह किताब कहां गई, मेरे हेडफोन कहां है, चलो एक छोटा सा मैसेज भेजता हूं , बस 10 मिनट के लिए एक गेम खेल लेता हूं फिर यह काम कर लूंगा|
ऐसे ही न जाने कितने छोटे छोटे काम मेरे सबसे महत्वपूर्ण काम में रुकावट करते हैं जो मैं करना चाहता हूं और मैं नहीं कर पाता और मैं बार बार फेल हो जाता हूं |
अगर हमें अपने दुश्मन का पता करना हो मोबाइल को एक बार देख लीजिए, आपको सब कुछ समझ में आ जाएगा मोबाइल के सारे नोटिफिकेशन को बंद कर दीजिए |
प्रॉब्लम मोबाइल में नहीं है प्रॉब्लम हमारी इच्छाओं पर कंट्रोल नहीं कर पाते यह है |
जब आप कुछ इंपोर्टेंट काम कर रहे हो, तब आप अपने मोबाइल को एरोप्लेन मोड में भी कर सकते हैं, जिससे कि आपको कोई और डिस्टर्ब नहीं कर सकता है और आप अपने काम पर पूरा फोकस लगाकर उस काम को ख़त्म कर सकते है |
अब हमें अपने मोबाइल में सिर्फ एक 20 मिनट का टाइमर लगाना है, या अपने लैपटॉप में टाइमर लगाएं और उस 20 मिनट में आप वही काम करिए जो सबसे ज्यादा कठिन है| इसके लिए में एक अप्प उसे करता हूँ जिसका नाम है Tomighty.
क्योंकि यही वह काम है जो आपको आगे बढ़ने से रोक रहा है आपको बस उन्ही कामों पर फोकस करना है और 20 मिनट अपने पूरे देने हैं|
आप देखेंगे कि आपका फोकस और कंसंट्रेशन एक अलग ही लेवल पर चला जाएगा और आप जो भी चाहेंगे वह आपको आसानी से कर लेंगे |
क्योंकि हमें यह पता ही नहीं होता कि हम कितने विचलित हैं, आप एक बार अपने मोबाइल को कहीं दूर छुपा कर रख दें और अपने काम पर फोकस रख कर अपना काम पूरा करें और जब वह काम पूरा हो जाए तब आप 5 मिनट का ब्रेक लेकर अपने आप को एक रिवॉर्ड दें |
इमोशंस –
ऐसा देखा गया है जब हम इमोशनल होते हैं तो हमारा इंटेलिजेंस का लेवल धीरे धीरे कम हो जाता है, जब हम बहुत भावुक होते हैं या हम जरूरत से ज्यादा खुश होते हैं या जरूरत से ज्यादा दुखी होते हैं तब हम सही निर्णय नहीं लेते हैं |
सही काम नहीं कर पाते क्योंकि उस समय हम अपना बेस्ट परफॉर्म नहीं कर रहे होते | हमें अपने इमोशंस को समझना जरूरी है |
जैसे आपने किसी सीरियल में भगवान शंकर जी को मेडिटेशन करते हुए देखा होगा और वह जान जाते हैं कि उनके अंदर कोनसे इमोशंस आ रहे हैं, क्योंकि वह तो भगवान हैं अपने अंदर सभी इमोशंस को पढ़ते सकते हैं और उनको कंट्रोल भी कर लेते है |
क्योंकि हम भगवान नहीं हैं मनुष्य है , इस बात को अगर हम ऐसे समझे कि जब हम लोग अपने इमोशंस के ग़ुलाम होतें हैं तब हमें सही गलत का पता नहीं चल पाता हैं |
हम अपनी इच्छाओं के हिसाब से चलते रहते हैं , अगर हम अपनी बुद्धि के द्वारा अपने इमोशन को कंट्रोल करके और उन इमोशंस से लड़े बगैर अपने आप को एक संतुलन में ला सकते हैं तो हम बेहतर परफॉर्म करते है |
इमोशनल इंटेलिजेंस आज के टाइम का सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक हैं | यदि आप इंटेलिजेंट है तो आप अपने इमोशंस को कंट्रोल करके और सामने वाले के इमोशंस को समझ करके चलते हैं तो आप ज्यादा अच्छा परफॉर्म करते हैं और एक अच्छी रिलेशनशिप बिल्ड करते हैं |
ऐसा आपने कभी देखा होगा कि हम किसी काम को कर रहे होते हैं तो करते करते अचानक हमें गुस्सा आने लगता है कि यह काम खत्म क्यों नहीं हो जाता , जब गुस्सा करते हैं आपको पता होता है कि आपको गुस्सा नहीं करना है बट फिर भी आप गुस्सा करते हैं, बस हमें गुस्से से लड़ना नहीं है बस अवेयर होना है |
आपको पता होना चाहिए कि आपको गुस्से की फीलिंग क्यों आ रही है, और आपको अपने माइंड को यह बोलना है कि मुझे गुस्सा क्यों आ रहा है जब आप इसके ऊपर विचार करेंगे तो ,
आपको समझ में आ जाएगा कि ऐसी कोई बात है जो आपको गुस्सा दिला रही है आपको गुस्से में रियेक्ट न करके और रेस्पॉन्ड करना है इसके लिए आपको थोड़ा पेशेंस और बैलेंस चाहिए होगा |
जब भी हमें गुस्सा आ रहा होता है तो पहली चीज हमको यह नहीं बोलना है कि हमें गुस्सा क्यों आ रहा है , क्योंकि गुस्सा आना स्वाभाविक है यह एक नॉर्मल क्रिया है but आपको रिएक्शन नहीं देना है, हमें रेस्पॉन्ड करना है |
अब कुछ समय का ब्रेक लेकर यह देखना है कि हमें ऐसा क्यों लग रहा है कि हमें गुस्सा आ रहा है और आप जैसे ही अपने दिमाग से अपने थॉट्स को पड़ेंगे तो आपको समझ में आएगा कि यह सब एक छोटी सी चीज के कारण हो रहा है |
मैं अपनी लाइफ में कुछ इमोशंस के कारण बहुत विचलित फील करता हूं जैसे मूड स्विंग्स, बोर हो जाना, फ्रस्ट्रेशन, जब मैं फ़्रस्ट्रेटहो जाता हूं तो मैं यूट्यूब पर कुछ भी वीडियो देखने लग जाता हूं |
मैं अपने माइंड को और विचलित कर देता हूँ जो कि एक सही सलूशन नहीं है, असली सलूशन तो यह है कि हमें अपने माइंड में पढ़े हुए विचारों को देखना है कि इसका क्या कारण है क्यों ऐसा हो रहा है कि मैं ऐसा फील क्यों कर रहा हूँ | और हमें रिएक्शन के बजाय रेस्पोंद करना सीखना होगा |
तो मित्रों हमें रिएक्शन की जगह रेस्पॉन्ड करना है | इमोशंस को समझना है और उस से रिलेटेड थॉट को पकड़ना है कि वह इमोशंस क्यों आ रहा है | यह एक एक्सरसाइज के जैसा है जितना हम अवेयर होंगे उतना ही सफल भी होंगे |
हेकड़ी
जब भी हम कुछ काम करते हैं, तो हम हमेशा यह चाहते हैं की हमें इस काम के लिए कोई तो सराहना करें |
मगर ऐसा ज्यादा सोचने से हमारा अहंकार बढ़ने लगता है |
हमे हमेशा से यह लगता है की मुझे इस काम के लिए प्रशंसा मिलनी चाहिए | जब भी हम ऐसा सोचते है की हमे वो मिलना चाहिए क्यूंकि हम लायक है उस चीज़ के, अगर हम गौर से देखें तो यह एक तरह का इमोशंस क्रिएट करता है जो कि हमें बेस्ट परफॉरमेंस से दूर ले जाता है |
गीता में भी कहा है कर्म करो और रिजल्ट की इच्छा मत रखो | यह कहना बहुत ही आसान है बट करना उतना ही मुश्किल है |
अगर आप अपने थॉट्स को देख सकते हैं तो आप यह देखेंगे कि हमारा माइंड हमेशा रिजल्ट चाहता है | जबकि सफलता असली मायने में तभी मानी जाती है जब सामने वाला आपसे खुश हो और आप उसकी सभी चीजों पर एग्री हो |
इसमें हमें करना यह है कि हमें फोकस दूसरे पर देना है ना कि खुद पर, जिससे कि सामने वाले को जो चीज चाहिए वह उसको मिल जाए और सही मायने में यही असली सक्सेस है |
जब तक हमारा सारा ध्यान खुद पर केंद्रित होता है, तब तक हम अच्छा परफॉर्म नहीं करते लेकिन अगर आपका सारा ध्यान उसी चीज पर केंद्रित है, जो दूसरे लोगों को आपसे जो चाइये जो ज्यादा इंपॉर्टेंट है तो हमारा सक्सेसफुल होने कि तीव्रता बढ़ जाती है |
फिक्स्ड माइंडसेट
यदि हम ऐसा सोचते हैं कि, इसमें तो मैं कुछ नहीं कर सकता , जब हम अपनी स्किल्स पर काम करना बंद कर देते हैं तो हमारी ग्रोथ रुक जाती है |
जब आप एक्सरसाइज करना बंद कर देते हैं रीडिंग करना बंद कर देते हैं, अच्छा खाना खाना बंद कर देते हैं तो हम खुद ब खुद असफलता की तरफ बढ़ने लगते हैं , हमारा माइंड यह कहता है कि इसमें तो मैं कुछ नहीं कर सकता यह फिक्स्ड माइंड सेट होता है |
फिक्स्ड माइंडसेट ऊपर की तीनों बातों से बनता है | फिक्स्ड माइंडसेट के ऊपर बहुत सी किताबें भी लिखी हुई है एक किताब जो मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत अच्छी लगी वह है माइंडसेट by Carol S. Dweck.
जो भी बड़े एथलीट हुए हैं जिन्होंने अपनी लाइफ में बहुत कुछ असाधारण किया है वो सभी लोग ग्रोथ माइंडसेट वाले थे | वे सभी अपने वर्क की क्वालिटी को कैसे इंप्रूव करें इस पर फोकस करते थे ना कि जो उन्हें मिलना चाहिए वह |
एक बहुत ही अच्छी बॉलीवुड मूवी बाहुबली है जिसमें जो हीरो है वह ग्रोथ माइंडसेट का है और विलेन फिक्स्ड माइंडसेट का, विलेन अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल नहीं कर पाता है |
विलेन भी बाहुबली कि तरह ताकतवर होता है मगर फिक्स्ड मिंडसेट होता है | वह हमेशा से गुस्से से ही काम लेता है उसको अपने इमोशंस पर कंट्रोल नहीं होता , उसको हमेशा लगता है कि बस उसकी ही सराहना की जाए , दूसरों का ध्यान न रखते हुए वह हमेशा खुद के बारे में ही सोचता रहता है |
जबकि इसके विपरीत बाहुबली लोगों के बारे में ज्यादा सोचता है, अगर आपने यह मूवी अभी तक नहीं देखी है तो एक बार बाहुबली मूवी जरूर देखें |
ग्रोथ माइंडसेट के लोग रिजल्ट ओरिएंटेड नहीं होते वह प्रोसेस ओरिएंटेड होते हैं |
हमारा फोकस अपने काम पर ज्यादा होना चाहिए, कि हम कैसे सबसे अच्छा परफॉर्म करें ना कि रिजल्ट पर क्योंकि रिजल्ट हमारे हाथ में नहीं है बट हमारे efforts हमारे हाथ में जरूर है |
कंक्लुजन –
जब हम छोटे छोटे कदम चलते हैं, तभी हम मंजिल की तरफ बढ़ेंगे |
हमें अपनी परफॉर्मेंस को इंप्रूव करने के लिए एक लंबी छलांग नहीं लेनी है बल्कि छोटे छोटे कदम रखने है अपनी छोटी-छोटी आदतें कोअच्छा करना है , हम गुस्से में रियेक्ट नहीं respond करना सीखना है ,
दूसरों का ज्यादा ध्यान रखना है उनके बारे में सोचना है , यह तो मुझे ही मिलना चाहिए ऐसा नहीं सोचना है |
और अपने काम पर ज्यादा फोकस करना चाहिए और उस चीज पर गर्व करना चाहिए| हमने जो अच्छे रिलेशन बनाए हैं उस पर गर्व होना चाहिए , अपने फोकस पर गर्व होना चाहिए |
पोमोडोरो टेक्निक को यूज करके अपने काम को करें | अपने इमोशंस को अपने ऊपर हावी ना होने दे | अपने इमोशंस को समझें और accept करे कि ये नॉर्मल है |
अपने इमोशंस से लड़े नहीं उस इमोशन को अपने अंदर से जाने दे जैसे कि हवा खिड़की से निकल जाती है वैसे , उस से लड़े नहीं और ना उसको रोके |
दूसरे लोगों को एक्नॉलेज करें कि उन्होंने अच्छा काम किया है सच्ची तारीफ करें | आप देखेंगे कि सच में आप एक बेहतर परफ़ॉर्मर बन जायेंगे |